शनिवार, 9 अप्रैल 2016

तोला-माशा-रत्ती की "रत्ती"

यह लता जैसे पौधे के सेम रूपी फल के बीज होते हैं। प्रकृति का चमत्कार है कि इसके सारे बीजों का आकार और वजन एक समान, करीब 0.12125 ग्राम, होता है। हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने इसकी खासियत को पहचाना और इसे तौल के माप के रूप में अपना लिया था...... 

आज सुबह-सुबह मेरी छोटी भतीजी, ख़ुशी को उसकी दादी से किसी बात पर मीठी फटकार पड़ गयी कि, तुझे रत्ती भर अक्ल नहीं है ! उसी समय ख़ुशी मेरे पास आई और पूछने लगी, बड़े पापा यह रत्ती क्या होता है ?  मैंने पूछा, तुमने कहां सुन लिया ? वह बोली, दादी से। मैंने कहा यह एक पेड़ का बीज होता है, कुछ सालों पहले तक जब मीट्रिक प्रणाली नहीं आई थी तब सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं को तौलने का सबसे छोटा माप हुआ मैंने ख़ुशी को अपने पास बैठाया और पूछा कि क्या तुम सचमुच रत्ती वगैरह के बारे में जानना चाहती हो ? उसके हाँ कहने पर मैंने उसे विस्तार से बताना शुरू किया। 
रत्ती के बीज 
आज की युवा पीढ़ी को इन सब के बारे में कोई जानकारी नहीं है। तोला तो फिर भी कभी-कभार सुनाई दे जाता है पर माशा और रत्ती के बारे में तो शायद ही इन्होंने सुना होगा। 
करता था। ख़ुशी की आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं, बोली बीजों से सोना तौलते थे ? उसकी बातें सुन मुझे एहसास हुआ कि 

रत्ती गहने आदि तौलने का हमारे देश में सबसे छोटा माप हुआ करता था। यह लता जैसे पौधे के सेम रूपी फल के बीज होते हैं। प्रकृति का चमत्कार है कि इसके सारे बीजों का आकार और वजन एक समान, करीब 0.12125 ग्राम, होता है। इनका आयुर्वेद में दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। हमारे विद्वान ऋषि-मुनियों ने इसकी खासियत को पहचाना और इसे तौल के माप के रूप में अपना लिया था। उन्होंने आम आदमी की सहूलियत के लिए इन्हीं के सहारे तौल का एक ढांचा खड़ा किया था। जिसके अनुसार -                  

8 रत्ती = 1 माशा, 
12 माशा = 1 तोला, जो आज के 11.67 ग्राम के करीब होता है। 
80 तोले = 1 सेर और 
40 सेर का एक मन हुआ करता था। जो आज के 37. 3242 कीलो के बराबर का भार था। 
पर आजकल सोने के वजन के लिए अत्याधुनिक कंप्यूटरीकृत प्रणाली आ चुकी है और पुराने समय
रत्ती का पौधा 
के सभी माप-तौल बंद हो चुके हैं।
 यह समझ लो कि जैसे पहले दूध "सेर" के हिसाब से मिलता था और अब "लीटर" में, कपडे इत्यादि पहले "गज" से नापे जाते थे अब "मीटर" के हिसाब से मिलते हैं वैसे ही "पॉव और सेर" अब ग्राम और कीलो में बदल गए हैं। इससे गणना में थोड़ी सहूलियत भी हो गयी है। 
फिर ख़ुशी से पूछा, कुछ समझ आया ? तो उसने हां रुपी सर हिलाया और बोली कल स्कूल में अपनी फ्रेंड्स की क्लास लूंगी। मैंने कहा वह सब ठीक है, ज्यादा सर खपाने की जरुरत नहीं है पर सामान्य ज्ञान के नाते यह सब मालुम हो तो अच्छी बात है।       

10 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " आगे ख़तरा है - रविवासरीय ब्लॉग-बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Manoj Kumar ने कहा…

Sundar Jaankri ! Bachpan me in bijo se khoob khele hain par ye ab pta chala ki inhe ratti khte h

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (11-04-2016) को

Monday, April 11, 2016

"मयंक की पुस्तकों का विमोचन-खटीमा में हुआ राष्ट्रीय दोहाकारों का समागम और सम्मान" "चर्चा अंक 2309"

पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

जमशेद आजमी ने कहा…

बहुत ही सुंदर और ज्ञानवर्धक लेख की प्रस्तुति।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रचना को सम्मलित करने के लिए ब्लॉग बुलेटिन का आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मनोज जी,

हार्दिक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जमशेद जी,
हार्दिक धन्यवाद

Meena sharma ने कहा…

ये बीज लाल के अलावा सफेद रंग में भी होते हैं। महाराष्ट्र में इन्हें गुंजा और मेरी मातृभाषा राजस्थानी में चिरमी कहते हैं। चिरमी पर कई राजस्थानी लोकगीत रचे गए हैं। मैंने सफेद गुंजा / रत्ती की बेल लगा रखी है। इसमें फूल तो कई बार आए पर फल नहीं लगे।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी, अतिरिक्त जानकारी के लिए हार्दिक आभार

MS Nashtar ने कहा…

आपने अपने इस आर्टिकल में सोना और चांदी के वजन से संबंधित बहुत अच्छी जानकारी दिया है. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैंने bhari gram से संबंधित एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.
धन्यवाद.

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